Friday, April 3, 2015

हनुमान जयंती

भगवान शिव के आठ रूद्रावतारों में एक हैं हनुमान जी। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी यानी कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। भगवान राम त्रेतायुग में धर्म की स्थापना करके पृथ्वी से अपने लोक बैकुण्ठ चले गये लेकिन धर्म की रक्षा के लिए हनुमान को अमरता का वरदान दिया। इस वरदान के कारण हनुमान जी आज भी जीवित हैं और भगवान के भक्तों और धर्म की रक्षा में लगे हुए हैं। 
हनुमान जी के जीवित होने के प्रमाण समय-समय पर प्राप्त होते रहें जो इस बात को प्रमाणित करता है कि हनुमान जी आज भी जीवित हैं। 16वी सदी के महान संत कवि तुलसीदास जी को हनुमान की कृपा से राम जी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमान जी ने तुलसीदास जी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा। 
हनुमान जी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदास जी चित्रकूट घाट पर बैठ गये और सभी आने जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आये तो हनुमान जी गाने लगे 'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे।' इस प्रकार तुलसीदा को राम जी के दर्शन हुए। 
तुलसीदास की बढ़ती हुई कीर्ति से प्रभावित होकर अकबर ने एक बार तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाया। तुलसीदास जी को अकबर ने कोई चमत्कार दिखाने के लिए कहा, जिसे तुलसीदास जी ने अस्वीकार कर दिया। क्रोधित होकर अकबर ने तुलसीदास को जेल में डाल दिया। जेल में तुलसीदास जी ने हनुमान की अराधना शुरू कर दी। 
इतने में चमत्कार यह हुआ कि बंदरों ने अकबर के महल पर आक्रमण कर दिया। बंदरों के उत्पात से अकबर भयभीत हो गया। अकबर को समझ में आ गया कि तुलसीदास जी को जेल में डालने के कारण हनुमान जी नाराज हो गये हैं। बंदरों के उत्पात का कारण यही है। अकबर ने संत तुलसीदास जी से क्षमा मांगी और उन्हें जेल से मुक्त कर दिया। 
तुलसीदास जी से पहले हनुमान जी की मुलाकात त्रेतायुग में महाभारत युद्घ से पहले पाण्डु पुत्र भीम से हुई थी। भीम की विनती पर युद्घ के समय हनुमान जी ने पाण्डवों की सहायता करने का आश्वासन दिया था। माना जाता है कि महाभारत युद्घ के समय अर्जुन के रथ का ध्वज थाम कर महावीर हनुमान बैठे थे। इसी कारण तीखे वाणों से भी अर्जुन का रथ पीछे नहीं होता था और संपूर्ण युद्घ के दौरान अर्जुन के रथ का ध्वज लहराता रहा। 
शास्त्रों का ऐसा मत है कि जहां भी राम कथा होती है वहां हनुमान जी अवश्य होते हैं। इसलिए हनुमान की कृपा पाने के लिए श्री राम की भक्ति जरूरी है। जो राम के भक्त हैं हनुमान उनकी सदैव रक्षा करते हैं। 
15 साल बाद चंद्रग्रहण और हनुमान जयंती का शुभ संयोग
वर्ष 2015 में चैत्र पूर्णिमा पर 15 साल बाद खग्रास चंद्रग्रहण पड़ रहा है तथा उस दिन हनुमान जयंती भी है। शनिवार दिनांक 04.04.15 को चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि है साथ-साथ इस दिन पड़ रहा है अशुभ चंद्रग्रहण। चंद्र ग्रहण का सूतक शनिवार दिनांक 04.04.15 को प्रातः 03 बजकर 46 मिनट से शुरू हो जाएगा। जो कि पूरे दिन रहेगा तथा शाम को 7 बजकर 15 मिनट पर चंद्र ग्रहण समाप्त होगा। सूतक लगने के साथ हनुमान मंदिरों में पट बंद कर दिए जाएंगे।
शास्त्रानुसार चंद्र ग्रहण के दौरान देव दर्शन, मूर्ति को स्पर्श करना, खाना पीना एवं शुभकार्य पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा। ऐसे में प्रशन यह उठता है कि किस प्रकार हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाए।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूर्णिमा तिथि शुक्रवार दिनांक 03.04.15 शाम 03 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होकर शनिवार दिनांक 04.04.15 शाम 05 बजकर 35 मिनट तक विद्यमान रहेगी तथा हस्त नक्षत्र दिनांक 03.04.15 रात 08 बजकर 50 मिनट से प्रारंभ होकर शनिवार दिनांक 04.04.15 रात 11 बजकर 35 मिनट तकविद्यमान रहेगा।
ऐसे में हनुमान जयंती का पर्व ग्रहण काल के सूतक से बचकर दो दानों तक मनाया जा सकता है। हनुमान जयंती मनाने का पहला अवसर शुक्रवार दिनांक 03.04.15 शाम 03 बजकर 21 से शनिवार दिनांक 04.04.15 को प्रातः 03 बजकर 45 मिनट तक रहेगा तथा दूसरा अवसर शनिवार दिनांक 04.04.15 शाम 7 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ होकर शनिवार दिनांक 04.04.15 रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
ऐसे में जो लोग पूर्णिमा और हस्त नक्षत्र के मेल से शुभ समय में हनुमान जयंती मनाना चाहते हैं उनके लिए शुक्रवार दिनांक 03.04.15 की रात 09 बजे से रात 10 बजकर 30 मिनट के बीच लाभ के चौघड़िया में हनुमान जयंती श्रेष्ठ रूप से मनाई जाएगी।


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