Sunday, November 8, 2015

अन्नपूर्णा देवी

काशी विश्वनाथ जी मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में माँ अन्नपुर्णा देवी का मंदिर है जो भक्तों को अन्न धन प्रदान करने वाली माँ अन्नपूर्णा का दिव्य धाम है। दीपावली से पहले पड़ने वाले धनतेरस के दिन माँ का अनमोल खजाना खोला जाता है और श्रधालुयों में इसकों साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बाटा जाता है जिसके पीछे की मान्यता है कि इस खजाने के पैसे को अगर अपने घर में रखा जाये तो कभी धन, सुख, और समृद्धि में कमी नहीं होती। माता अन्नपूर्णा ‘समस्त संसार का भरण पोषण करने वाली हैं। यह ही मनुष्यों को सुख-सौभाग्य, नित्य आनन्द, ऐश्वर्य और आश्रित को अभय प्रदान करने वाली हैं। धन-धान्य से सम्पन्न भूमि माता का जीता जागता स्वरुप हैं देवी अन्नपूर्णा। श्रीअन्नपूर्णा को माता पार्वती का ही स्वरुप बताया गया है। काशी की पारम्परिक नवगौरी-यात्रा में आठवीं भवानी गौरी तथा नवदुर्गा-यात्रा में अष्टम् महागौरीका दर्शन-पूजन अन्नपूर्णा मंदिर में ही होता है। अन्नपूर्णा माता की विधि पूर्वक पूजा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। माता अन्नपूर्णा अत्यन्त दयालु व वरदायिनी हैं। इनकी उपासना से अनेक जन्मों से चली आ रही दरिद्रता का निवारण हो जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान् शिव ज़ब काशी आये तो लोगों का पेट भरने के लिए उन्होंने माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। माँ ने भिक्षा के साथ साथ भगवान शिव को यह वचन भी दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नही सोयेगा। क्योकि यह नगरी महादेव को अतिप्रिय है इसलिए देवी अन्नपूर्णा भी हमेशा के लिए यहीं बस गयीं। लेकिन माँ का दर्शन भक्तों को पुरे वर्ष में केवल चार दिनों के लिए ही मिलता है। यह अदभुत संयोग धनतेरस से लेकर दिवाली तक ही होता है । माता अन्नपुर्णा के मंदिर में स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन धनतेरस के दिन से चार दिनों के लिये होता है। माँ के दर्शन करने के लिए पूरे भारतवर्ष से लोग आते है लेकिन धनतेरस के दिन माँ के दर्शन का विशेष महात्म्य है। भगवती अन्नपूर्णा की शरण में आने वाले को कभी धन-धान्य से वंचित नही होने पड़ता है ऐसा उनका आशीष माना जाता है। अन्नपूर्णा देवी की पूजा व उनकी उपासना करने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। भगवती लक्ष्मी जिस दिन पृथ्वी पर आयी वो त्रयोदशी तिथि थी इसीलिये कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस मनराया जाता है। धनवंतरी जी भी आज के ही दिन हाथों में अमृत कलश लिये पृथ्वी पर आये थे। इस दिन धनवंतरी जयंती भी मनाई जाती। भक्ति और श्रद्धा से सराबोर इस अलौकिक नजारे को देखने और उसका एक हिस्सा बनने के लिए लोग दूर – दूर से माँ के दरबार में पहुचते हैं। अन्नपूर्णा पार्वती ही धन , धान्य, वैभव और सुख शान्ति की अधिष्ठात्री देवी है।



No comments: